आप सोच रहे होंगे की ये कूकिएस क्या होती है, इंटरनेट पर आज कल कूकिएस बहुत आवश्यक है म्मगर क्या आपकोपता है यह आपके privacy के लिए खतरनाक भी ही सकती है ......

यह HTTP cookies जब आप किसी भी वैबसाइट पर वीसैट करते है और उसस वैबसाइट पर अपनी कोई information देते है या sign इन करते है तब ये आपका डाटा रेकॉर्ड करते वैबसाइट के developers को देती है। और जब आप्क दोबारा उस्स वैबसाइट पर आते है तब आपको वह याद दिलाती है की अपने पहले भी login किया है , फिर वह आपसे आज्ञा लेती है की same वही information जो अपने आखिरी बार डाली थी , उससे लाओगीन कर सकती है या नहीं । 

आप सोच रहे होंगे की ये तो काम की चीज़ है मगर आपको पता है जब ये आपका डाटा स्टोर करती है तब स्टोर किए हुए डाटा के hack होने के भी chances रहते है। 

इसी लिए cookies पर पूरी तरह भरोसा करना गलत है, मगर आप अगर थोड़ा ससा भी cookies को समझ ले तो यह आपके लिए लाभदायक हो सकता है। इससे आप इंटरनेट पर ढका धारी से बच सकते है। 

cookies को एक फायदे की तौर पे भी देखा जा सकता है और नुकसान के तौर पर भी.....


ज़्यादातर cookies ऐसे नहीं होते, कुछ पूरी तरह सुरक्छित होते है, कभी कभी कुछ cookies को चुरा कर किसी भी user की सारी information हक्क कर ली जाती है। 


 आइए इस्स article मे हमलोग cookies के बारे मे पूरी जानकारी लेंगे। पेरी जानकारी के लिए ये पूरा article ध्यान से पढे......इस article मे हमलोग जानेंगे :-

  • Cookies क्या होती है ?

  • कम्प्युटर पे cookies क्या होती है?

  • क्या cookies मे virus होता है ?

  • आप cookies को कैसे हटा सकते है ?

  • website पर cookies क्या होती है?



Cookies क्या होता है ? 

कूकिएस छोटी छोटी फ़ाइल होती है डिसमे आपका data होता है जोकि आप किसी website पर देते है , यह किसी भी तरह का username या password या अन्य कोई information हो सकता है।

इसकी मदद से कोई website आपको पहचानता है की आप एक internet user है, इससे आपको इंटरनेट use करने मे आसानी होती है। 

यह informaion cookies पर काम कर रहा server बनाता है। इससे आपके कम्प्युटर पर आपकी एक unique id बन जाती है। 

जब यह information कम्प्युटर और server पर exchange होता है तब सर्वर आपको उससी id से पहचान कर आपका data स्टोर कर लेता है । इससे आपको एक अलग पहचान मिलती है। 


Internet पर दो तरह की कूकिएस होती है:-

  • Magic Cookies

  • HTTP Cookies


Magic cookies:- यह एक पूयराना cookie है, इसको सर्वर तक बिना किसी बदलाव के भेजा जाता है । ज़्यादातर यह कूकिएस आपको किसी website पर लॉगिन कने मे काम आता है। यह बहुत पहले से चला आ रहा है , मतलब यह HTTP cookies से पुराना है । इसमे बदलाव नहीं किया जाता। जैसे sender भेजता है वैसा ही लेने वाला प्रपट करता है। मुख्यतः इसमे कोई बदलाव किए बिना ही लें देन किया जाता है .


HTTP cookies:- यह Lou Montulli द्वारा बनाया गया है , यह बिलकुल magic cookies की तारह होता है , मगर इसका इस्तेमाल वैसे नहीं किया जाता। यह आपके ब्राउज़र पे इस्स तरह काम करता है जैसे की magic cookies का कोई upgraded version हो, Lou Montulli ने इससे तब बना था जब उन्होने देखा की ऑनलाइन stores पर अत्यधिक भार पड़ गया था । 

HTTP cookie हमारे किसी वैबसाइट के experience को बढ़ता है। कुछ ऐसे hacker होते है जो इससे चुराकर आपका सारा data हक्क कर लेते है। 

आइए HTTP cookies के बार और जानते है…




HTTP cookies क्या होती है ? 

यह cookies इंटरनेट पर आपके इन्फॉर्मेशन को सेव करके रखने और उसको बाद मे प्रयोग करने के काम आती है। यह आपके data को track करते हैं। और इसको cusyomise करने मे भी हेल्प करती है इससे आप जब छाए इसके अनादर के information को edit कर सकते है । 

यह आपके किसी वैबसाइट पर बिताए हुए समय को भी नापती है और सेव करती है। 

मतलब इसमे बहुत सारा information store होता है। अगर आप किसी website पर पहली बार जाते है तब यह cookies आपके data को save करना शुरू कर देती है । पहली बार किसी वैबसाइट को उसे करने पर website developer  द्वारा आपसे अनुमति ली जाती है की आपका data save किया जया या  नहीं । 

यह accept करने का option आज कल के सभी browser पर अता है । 

server आपको तभी यह संदेश भेजेगा जब उसस वैबसाइट पर किसी तरह का information लिया जाता हो। 

अगर अपने एक बार अनुमति देदी तो आपका data सेव होना शुरू हो जाएगा। और यह एक तरह से server मे सेव हो जायेगा । इसकी पहचान "name value" से कीजाती है । यह एक तरह की id होती है जैसे आपके device का IP address॥ 

  • यह एक तरह से coat check की तरह है :-

  • अगर आप कोई वैबसाइट को छोडते है तभी सर्वर पर ये सेव हो जाता है। और ये तभी वापिस आता है जब आप उसस वैबसाइट पर दोबारा जाते है । 

  • ये सारे personal data को सेव करता है चाहे वो कोई password हो या कोई email.

  • वह वही ईद इस्तेमाल करते ज आपके किसी browser मे होता है। 

Cookies की लिए काम आता है ?

अगर cookies न होती तो आपका किसी वैबसाइट पर दोबारा login करना थोड़ा मुश्किल होता क्योकि पहले से कोई data save नहीं रेहता और आपको फिरसे पूरा information डालना पड़ता। एक तरह से ये आपके अनुभव को ठीक करता है। cookies के कुछ तरीके होते है :-

  • सत्र प्रबंधन:- जब आप किसी वैबसाइट पर जाते है मान लिए आप किसी news वैबसाइट पर गए तब आप जिस भी टॉपिक को देखेंगे और देख कर वेब्सिटर बंद करेंगे फिर अगलिबार जब आप दोबारा उस वैबसाइट पर आएंगे तब cookies आपको उसी topic से related news दिखाएगा जिस टॉपिक पर अपने आखिरी बार देखा था।

  • वैयक्तिकरण:- यह एक ऐसा तारीका है जिससे cookies आपके बारे मे जनता है , मान लीजिये आप किसी वैबसाइट पर जाते है तब यह cookies उस website पर ad कुछ इस तरह दिखाता है की आपको कोई दिक्कत न हो। 

  • नज़र रखना:- जब आप किसी ऑनलाइन shopping वैबसाइट पर जाते है और वह अपने कोई प्रॉडक्ट देखा तो देखने से लेकर खरीदने तक , cookies पूरा डाटा स्टोर करती है । 

 इनमे से कुछ ऐसे तरीके है जो आपके काम आ सकते है या आपको कोई नुकसान नहीं पाहुचने देते, ये आपके डिवाइस पर ही सेव हो सकते है अगर आपका ब्राउज़र के ब्राउज़िंग data स्पेस खाली हो। यह उसस वैबसाइट पर ज्यादा load पड़ने नहीं देता। इससे उस website का सर्वर भी नहीं भर्ता और developers को maintainance नहीं करनी पड़ती। जिसकी फीस वो users से लेते है मतलब आप maintainance fees भी बचा सकते है । 


Internet पर कई तरह के HTTP cookies होते है :-

जैसे :-session and persistent.

(1)Session :- session cookies ज़्यादातर आपके डाटा को random access memory(RAM) मे सेव करते ही ये कभी भी hard disk मे नहीं जाता। जब आप वैबसाइट को बंद करते है तब ये अपने आप delete हो जाती है जिससे जासूसी का खतरा कम होता है । 


(2)Persistent:- यह अपने आप डिलीट नहीं होती मगर आप चाहे तो एक समय पर या एक समय set कर सकते है जब ये अपने आप डिलीट हो जाए , यह तब काम आता है जब अगर आप किसी website पर बाद मे काम आने वाला information देते है ।  यह दो तरह से काम अति है :- 

  • जब आप किसी वैबसाइट पर लॉगिन करते है तब ये cookies देखती है की आपने कब और किस नाम से लॉगिन क्या है । यहपके नाम को सेव कारलेता है और अगलिबार सिर नाम से ही पूरी ईद लॉगिन करा देता है। जब तक ip address एक न  हो । 

  • जब आप किसी ख़रीदारी करने वाले वैबसाइट पर बार बार जाते है तब ये आपके search से related products को एक साअथ करके दिखाता है जिससे आपको ख़रीदारी करने मे आसानी हो । 

क्यो cookies खतरनाक हो सकती है ?

यह ताबतक नुकसान दायक नहीं है जबतक ये खुद से न बदले, और ये कभी भी खुद से नहीं बदलते। 

तो आप सोच रहे होंगे की अगर ये खुद से नहीं बदलते हो चिंता किस बात की है , तो मैं आपको बता दु की यह खुद से तो नहीं बदलते मगर ये hackers द्वारा बदले जा सकते है मतलब अगर कोई cyberattacker आपके किसी भी वैबसाइट की cookies को हक्क कर लेता है तब वो आपके ब्राउज़िंग सेससीओन को हथिया सकता है आपका पूरा डाटा भी ले साता है । 

वो आपके पेरे ब्राउज़िंग history को देख सकता है जिससे आपका डाटा और पर्सनल information भी leak कर सकता है । 

इंटरनेट पर 2 तरह की कूकिएस होती है :-

First-party cookies किसे कहते है ? :-  या cookies खुद उस वेबसीटे द्वारा बनाई जाती है। वैबसाइट द्वारा बनने की  वजह से ये harmful नहीं होती । 

Third party cookies किसे कहते है ?:-  यह जैसा की नाम से ही लग रहा है ये किसी और party से है । मतलब मतलब ये उस वैबसाइट की cookies नहीं होती जिस वैबसाइट पर आप है । ये किसी और वैबसाइट की होती है। और वो वैबसाइट कोई हैकर की भी हो सकती है, अब आप सोच रहे होंगे की दूसरे वैबसाइट की कूकिएस किसी वैबसाइट पर कैसे दिख सकती है । 

तो मैं आपको बता दु की ये ad द्वारा किसी और वैबसाइट पर जाती है , और आप तो जानते ही है किस ad चरो तरफ घूमते रहते है .। 


कुकीज़ को अनुमति देना या हटाना


Cookies को एक फायदे के रूप मे वैबसाइट पर रखा जाता है । अगर आप इसे हटाना चाहे तो हटा सकते है । और नहीं हटान चाहते है तो data record करने की अनुमति दे सकते है । कुछ cookies वैबसाइट के लिए खतरनाक नही होती।  अगर ये किसी भी तरह के वाइरस और हैकर से ना जुड़े होतो इन्हे अपनाया जा सकता है। कई user ऐसा मानते है की ये बहुत फ़एडेमंद है । 

अगर आप किसी भी वैबसाइट पर cookies नहीं देखना चाहते तो कुछ steps से आप इसे हटा सकते है । यह एक बहुत ही आसान प्रक्रिया है जिसकी मदद से आप किसी भी वैबसाइट से इसे हटा सकते है । और अगर आप इन्हे हटाते है तो , जैसा की अपने पढ़ा आपका कोई डाटा सेव नहीं होगा । और जब कोई डाटा सेव नहीं होगा तब आपको बार बार लॉगिन करना पड़ेगा । 

मैं आपको सलाह दूंगा की आप किसी cookie को तभी हटाये जब आपको लगे की ये आपको नुकसान पाहुचा सकते है , मतलब हटाने से पहले उसके बारे मे पूरी जानकारी लेकर हटाना या रखना बेहतर होगा । 




Note:- This article is not written under any guidance of any expert or any professional individual. This article contains only basic knowledge of this topic.